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Friday 28 April 2017

CBSE : राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा साल में एक बार करने को सीबीएसई तैयार

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) वर्ष में एक बार कराने का प्रस्ताव मानव संसाधन विकास मंत्रलय को भेजा है। पात्रता परीक्षा कॉलेज एवं विश्वविद्यालय के लिए शिक्षकों की भर्ती से संबंधित योग्यता की परीक्षा है।

ज्ञात हो कि परीक्षा जुलाई में कराने को लेकर संशय पर यूजीसीके मुख्यालय पर जेएनयू छात्र संघ के पदाधिकारियों सहित अन्य छात्रों ने प्रदर्शन किया था। हालांकि, यह बताया जा रहा है कि इस वर्ष जुलाई में होने वाली परीक्षा को लेकर बनी अनिश्चितता को समाप्त करते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने फैसला किया है कि सीबीएसई ही यह परीक्षा कराएगी। सीबीएसई इस परीक्षा से संबंधित सभी पहलुओं पर ध्यान दे रहा है। पंजीकृत उम्मीदवारों में से केवल 17 फीसद ही परीक्षा के लिए आते हैं और उनमें से केवल चार फीसद ही परीक्षा उत्तीर्ण कर पाते हैं।

66 हजार सहायक शिक्षकों से नहीं होगी छेड़छाड़, सुप्रीम कोर्ट से खुशखबरी के संकेत

अमर उजाला, नयी दिल्ली: प्रदेश के 66 हजार सहायक शिक्षकों के लिए सुप्रीम कोर्ट से खुशखबरी के संकेत आये हैं। कोर्ट ने गुरुवार को सहायक शिक्षक भर्ती मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा कि भर्ती हो चुके करीब 66 हजार सहायक शिक्षकों को नहीं छेड़ा जाएगा। कोर्ट भविष्य में भर्ती के मानक तय करने पर अपना फैसला सुनाएगा। दूसरी तरफ शिक्षा मित्रों का मामला सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य मामले से अलग कर दिया है और शिक्षा मित्रों के मामले पर कोर्ट दो मई को सुनवाई करेगा।यह मामला उप्र के प्राथमिक स्कूलों में 2011 की सहायक शिक्षक भर्ती योजना का है जिसमें 72825 शिक्षकों की भर्ती का विज्ञापन निकाला गया था। भर्तियां हुईं लेकिन 20 नवंबर 2013 को हाई कोर्ट ने योग्यता मानदंडों से जुड़ा राज्य सरकार का 15वां संशोधन रद करते हुए भर्तियां निरस्त कर दी थीं। यह होना है कि सहायक शिक्षकों की भर्ती का मानदंड टीईटी होगा या फिर एकेडेमिक मेरिट मानक होगा। मामले में उप्र सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।



शिक्षामित्रों की सुनवाई 2 मई को, डेढ़ लाख शिक्षामित्र हाईकोर्ट के समायोजन रद्द करने के फैसले के बाद से सुप्रीमकोर्ट के फैसले का कर रहे इंतजार


शिक्षामित्रों के शिक्षक पद पर समायोजन केस में सुनवाई 2 मई को होगी। प्रदेश में अब तक डेढ़ लाख के लगभग शिक्षामित्रों को नियुक्ति दी गई है। इसे हाईकोर्ट ने अवैध ठहराया था और कहा था कि बिना टीईटी पास लोगों को शिक्षक के रूप में निुयक्त नहीं किया जा सकता

नई दिल्ली :  सुप्रीम कोर्ट ने यूपी टीईटी व शैक्षणिक मेरिट पर शिक्षकों की नियुक्ति के मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट ने कहा जो लोग अध्यापन कर रहे हैं वे करते रहेंगे। पर जो नई भर्ती होंगी उसके लिए कोर्ट दिशा-निर्देश जारी करेगा। जस्टिस आदर्श गोयल और यूयू ललित की पीठ ने गुरुवार को विस्तृत सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। शिक्षक योग्यता परीक्षा (टीईटी ) पास उम्मीदवार टीईटी के साथ शैक्षणिक योग्यता जोड़ने के नियम (13 और 15) का विरोध कर रहे हैं। यूपी सरकार ने नियम बनाया था कि सिर्फ टीईटी पास करना ही पर्याप्त नहीं होगा इसके लिए उनका शैक्षणिक रिकार्ड भी देखा जाएगा और उसके आधार पर ही मेरिट बनेगी। फैसले को चुनौती दी थी: यह मामला हाईकोर्ट गया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि ऐसा नियम बनाने का हक केंद्र को है न कि यूपी को। कुछ ने इसे चुनौती दी थी।

बेटियों के जन्म पर 50 हजार रुपये का बॉन्ड देगी योगी सरकार

गरीब परिवारों को बेटियों के जन्म पर सूबे की सरकार 50 हजार रुपये का बॉन्ड देगी। इसके लिए महिला कल्याण विभाग भाग्यलक्ष्मी योजना का खाका तैयार कर रहा है। इसमें बेटियों को जन्म देने वाली मां को भी 5100 रुपये दिए जाएंगे।

शीघ्र ही इस योजना को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट के समक्ष मंजूरी के लिए रखा जाएगा। मुख्यमंत्री गरीब परिवारों को बेटियों के जन्म पर उन्हें प्रोत्साहन देने जा रहे हैं। ताकि, वे बेटियों को बोझ न समझें।
बेटियों का लालन-पोषण अच्छे ढंग से हो इसलिए उन्हें जन्म के समय 50 हजार रुपये का बॉन्ड दिया जाएगा। इस योजना के जरिये सरकार सूबे में घट रहे लिंग अनुपात को भी सुधारेगी।
सरकार भाग्यलक्ष्मी योजना के तहत बीपीएल परिवारों के साथ ही दो लाख रुपये तक की सालाना आय वाले परिवारों को भी शामिल करने जा रही है। बॉन्ड के साथ बैंक की एफडी के विकल्प पर भी विचार हो रहा है।

क्या है भाग्यलक्ष्मी योजना

प्रदेश सरकार ने बेटियों के जन्म के समय 50 हजार रुपये का बॉन्ड देने की जो योजना तैयार की है, उसमें बेटियां जैसे-जैसे बड़ी होंगी वैसे-वैसे पैसा अभिभावकों को मिलता जाएगा।
कक्षा छह में आने पर बेटियों को तीन हजार रुपये, कक्षा आठ में आने पर पांच हजार रुपये, कक्षा 10 में पहुंचने पर सात हजार व इंटरमीडिएट में आने पर आठ हजार रुपये मिलेंगे।
इसी प्रकार,21 वर्ष की आयु में दो लाख रुपये अभिभावकों को दिए जाएंगे। सरकार यह भी देख रही है कि क्या कोई बॉन्ड जारी करने वाली कंपनी इससे ज्यादा रिटर्न दे सकती है।
इस पर महिला कल्याण की प्रमुख सचिव रेणुका कुमार का कहना है कि मुख्यमंत्री ने भाग्यलक्ष्मी योजना लॉन्च करने के निर्देश दिए हैं। इस योजना का खाका तैयार किया जा रहा है। शीघ्र ही इसे कैबिनेट के समक्ष मंजूरी के लिए रखा जाएगा। इसका लाभ गरीब परिवारों को बेटियों के जन्म पर मिलेगा। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना के तहत बेटी के जन्म पर मां को भी 5100 रुपये की धनराशि दी जाएगी।

Thursday 27 April 2017

सुप्रीम कोर्ट अपडेट : टेट बनाम ऐकडेमिक की सुनवाई पूर्ण, फैसला रिजर्व , 90 दिन के अंदर आऐगा फैसला

12वें बनाम 15वें/16वें अर्थात टेट बनाम ऐकडेमिक की सिविल अपील 4347-4375/2014 और उससे कनेक्टेड इम्लीडमेन्ट ऍप्लिकेशन्स की सुनवाई पूर्ण, फैसला रिजर्व। सुप्रीमकोर्ट के आदेश पर हुई शिक्षक नियुक्तियों को ललित सर ने बहाल रखा। 90/105 के क्राईटेरिया खत्म, 82/90 टेट अंक पाने वाले सभी अर्ह। शिक्षक चयन प्रणाली में टेट वेटेज अनिवार्य। अब शिक्षामित्र व याचियों के परमादेश याचिकाओं का फाइनल निस्तारण मंगलवार को। सारे मेटर को डिसाइड करके जजमेंट एक साथ आएगा। कोर्ट योग्य अभ्यर्थियों के प्रति पूर्णतयः सकारात्मक हैं व 82/90 टेट तक के सभी अभ्यर्थी अर्ह/पात्र हैं। मंगलवार को केस पूर्णतयः निस्तारित हो जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट अपडेट

CA 4347-4375/2014 पर फैसला सुरक्षित, 90 दिन के अंदर आऐगा फैसला।

12वां संशोधन सुरक्षित.

शिक्षामित्रों नई डेट 2 मई.

समस्त अंतरिम आदेशों का पालन होगा।।

UPTET कोर्ट के बाहर अतिरिक्त सुरक्षा व्यवस्था

सुप्रीम कोर्ट सिक्योरटी और दिल्ली पुलिस के जवान तैनात। किसी भी बिना गाउन के एडवोकेट और एडवोकेट के क्लर्क के कोर्ट के अंदर जाने पर रोक। जैसा कि आपको पता है आज कोर्ट में TET से Related कई महत्वपूर्ण केस चल रहें हैं, जिस वजह से वह कोर्ट की सुरक्षा के अलावा दिल्ली पुलिस के सुरक्षा जवान भी तैनात कर दिए गए हैं।

आज कोर्ट न० 13 आइटम न० 14 में लगभग 11 से साढ़े 11 के बीच केस सुना जाएगा. मा० उच्चत्तम न्यायालय के परिसर में भी घुसने पर होगी पाबंदी

आज कोर्ट न० 13 आइटम न० 14 में लगभग 11 से साढ़े 11 के बीच मैटर सुना जाएगा | किसी का पास नहीं बनेगा और कल मा० उच्चत्तम न्यायालय के परिसर में भी घुसने पर पाबंदी होगी | शिक्षा मित्रों की ट्रेनिंग के विरुद्ध वरिष्ठ अधिवक्ता जेपी कामा जी की ब्रीफिंग पूर्ण | आरटीई एक्ट (याची लाभ) एवं शिक्षा मित्र मेटर पर अधिवक्ता नंदन साहब को ब्रीफ करने के लिए कूच |

गौरतलब है की कल (26-04-2017) को कोर्ट के हॉल में याचियों की अत्यधिक भीड़ होने की वजह से माननीय जज साहब ने ऐसा आदेश दिया था की कल (27-04-2017) कोर्ट रूम में सारे पक्षों के वकीलों को छोड़कर और कोई भी मौजूद नहीं रहेगा.

Wednesday 26 April 2017

सहायक अध्यापकों की नियुक्ति के खिलाफ याचिका ख़ारिज

72825 सहायक अध्यापकों की नियुक्ति के मामले में करीब 11 सौ सहायक अध्यापक को तदर्थ नियुक्ति  देने के खिलाफ याचिका हाई कोर्ट ने ख़ारिज कर दी है। इन सहायक अध्यापकों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश से तदर्थ नियुक्ति दी जानी है, जिसकी प्रक्रिया जारी है।

हाई कोर्ट ने मामले में यह कहते हुए हस्तछेप से इंकार कर दिया कि याचीगण ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है लिहाजा मामले में हस्तछेप का औचित्य नहीं है। ऋषि श्रीवास्तव और अन्य की याचिकाओं पर न्यायमूर्ति अभिनव उपाध्याय ने सुनवाई की।

शिक्षा मित्रों ने अधिवक्ता सीमांत सिंह ने बताया कि प्रदेश सरकार ने सहायक अध्यापक भर्ती नियमावली में 15 वां संसोधन करके नियुक्तियों शैक्षणिक गुणांक के आधार पर करने पर लिया था। इसके खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दाखिल हुई और खंडपीठ ने 15 वां संसोधन रद्द करते हुए नियुक्तियां TET प्राप्तांक पर करने का आदेश दिया। इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल की की गई इस दौरान लगभग 11 सौ अभियार्थी ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी देकर कहा कि यदि हाई कोर्ट 15 वां संसोधन रद्द नहीं किया होता तो उनको शैक्षणिक गुणांक पर नियुक्ति  मिल गई होती। एस एल पी के लंबित रहने के दौरान उनको नियुक्ति दी जाये सुप्रीम कोर्ट याचिकाकर्ता अभियर्थियों को तदर्थ  रूप से सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति देने का दिया तथा कहा कि यह नियुक्तियां एस एल पी के निर्णयं पर निर्भर करेगी।

स्कूलों के नोटिस बोर्ड पर लगेंगे शिक्षकों के फोटो

परिषदीय और सहायताप्राप्त विद्यालयों में फर्जी शिक्षकों के पढ़ाने की शिकायतों पर केंद्र सरकार की भृकुटि तन गई है। केंद्र सरकार के मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रलय ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर परिषदीय और सहायताप्राप्त विद्यालयों में नियुक्त शिक्षकों की फोटो स्कूल के नोटिस बोर्ड पर लगाने के लिए कहा है। निश्शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम की धारा 24(1)(ए) में यह व्यवस्था है कि शिक्षक स्कूल में नियमित रहने के साथ समयबद्धता का भी पालन करेगा। यह बात और है कि परिषदीय विद्यालयों में शिक्षक इस नियम की धज्जियां उड़ाते हैं। परिषदीय विद्यालयों में आमतौर पर यह शिकायतें मिलती हैं कि शिक्षक स्कूल में पढ़ाने नहीं आते। सुदूरवर्ती इलाकों के स्कूलों में ऐसी भी शिकायतें मिलती हैं कि स्कूल में नियुक्त शिक्षक पढ़ाने की बजाय खुद स्कूल से गायब रहते हैं और खंड शिक्षा अधिकारी व विद्यालय के प्रधानाचार्य से सांठगांठ कर अपनी जगह किसी दूसरे व्यक्ति को प्रतिस्थानी के तौर पर स्कूल में पढ़ाने भेजते हैं। इसके लिए वे खंड शिक्षा अधिकारी की मुट्ठी गर्म करने के साथ अपने वेतन का कुछ हिस्सा उस व्यक्ति को भी देते हैं जो उनकी जगह बच्चों को पढ़ाने का काम करता हो। लंबे समय से यह गोरखधंधा चल रहा है और बेसिक शिक्षा विभाग इस पर प्रभावी तरीके से अंकुश नहीं लगा पा रहा है। एचआरडी मंत्रलय ने इस समस्या की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए राज्य सरकार को अप्रैल 2016 में पत्र लिखा था और इसे रोकने के लिए की गई कार्यवाही की जानकारी मांगी थी। अगस्त 2016 में एचआरडी मंत्रलय ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर बताया कि इस बाबत 10 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने जानकारी उपलब्ध करायी है लेकिन उप्र ने नहीं। लिहाजा एचआरडी मंत्रलय ने इस बार पत्र लिखकर राज्य सरकार से कहा है कि सभी परिषदीय और सहायताप्राप्त विद्यालयों के नोटिस बोर्ड पर स्कूल में तैनात शिक्षकों की फोटो उनकी श्रेणी के अनुसार लगायी जाएं। फर्जी अध्यापकों का गोरखधंधा रोकने की पहल केंद्र के एचआरडी मंत्रलय ने राज्य सरकार को भेजा पत्र।

सुप्रीमकोर्ट में शिक्षक भर्ती केस मेटर तीन पार्ट में बंटा , पहले बिंदु पर फाइनल सुनवाई होगी आरम्भ

मेटर तीन पार्ट में क्लासिफाइड-

1- Base of Selection
2. Shikshamitra Matter
3. Writ No. 167 and other connected writ

लंच के बाद से पहले बिंदु पर फाइनल सुनवाई आरम्भ होगी। सुनवाई लंच के बाद 2 बजे के बाद फिर से होगी। अभी सुनवाई स्थगित.. भीड़ की वजह से केस लंच के बाद सुना जाएगा।। चल रहे केस के बाद पुनः सुनवाई।जिस क्रम से हाई कोर्ट का आर्डर आया है उसी क्रम से सुनवाई होगी। लंच के बाद कंटीन्यू सुनवाई होगी। पहले टेट और नॉन टेट विवाद निपटाया जायेगा, फिर शिक्षामित्र और फिर जूनियर मामला सुनाजायेगा। जिस कर्म से हाई कोर्ट के आदेश हुए है उसी क्रम से निस्तारित किया जायेगा।

Shikshamitra Latest News

पहले सिविल अपील मुख्य विवाद 12 वां बनाम 15 वां सुना जाएगा क्रम से उसके बाद आनंद बनाम स्टेट आफ यूपी सुना जाएगा। (SM मामला) सभी सुनवाई सिस्टेमेटिक ढंग से सुना जाएगा। लंच बाद पुनः शुरू होगी सुनवाई सबसे पहले मुख्य अपील 4347 इसके बाद शिक्षा मित्र मैटर फिर याची रिलीफ पर बहस होगी। केस अंतिम निस्तारण की ओर अग्रेसर।

UPTET SHIKSHAMITRA बिना किसी सुनवाई के मैटर अड्जर्नड अगली सुनवाई लंच के बाद या जुलाई में, आज कोई बहस नहीं हुई

UPTET SHIKSHAMITRA बिना किसी सुनवाई के मैटर अड्जर्नड अगली सुनवाई लंच के बाद या जुलाई में, आज कोई बहस नहीं हुई. सरकार ने अपने एफिडेविड में शिक्षामित्रों को शिक्षको के स्थान पर दिखाया है , प्रशिक्षित अवशेष शिक्षा मित्रो का भी जिक्र किया है। कृपया आगे की जानकारी के लिए ब्लॉग विजिट करते रहे.

यूपी कैबिनेट के फैसले: महापुरुषों के नाम पर स्कूल और दफ्तर नहीं होंगे बंद

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में आज लोकभवन में कैबिनेट की चौथी बैठक हुई। बैठक के बाद कैबिनेट मंत्री श्रीकांत ने कहा, जहां-जहां प्राइवेट जमीन पर कब्जे हुए हैं शासन प्रशासन अभी तक उनकी मदद करता रहा था अब शासन प्रशासन उनके खिलाफ कार्रवाई करेगा।

अगर पुलिस ने ढील दी तो थानाध्यक्षों के खिलाफ भी कार्रवाई होगी। ‌इसका मतलब है कि यूपी में अब कानून का राज्य है। हमें सुनाई दिया है कि जबसे बीजेपी सरकार आई है लोगों ने ऐसी संपत्तियों से कब्जा खुद छोड़ दिया है और प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद इस पर और तेजी आ जाएगी। उन्होंने कहा कि धर्म की आड़ में भी कब्जे नहीं होंगे। एंटी भू माफिया टास्क फोर्स के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। कब्जों की शिकायतों को लेकर पोर्टल भी बनाया जाएगा।

वहीं महापुरुषों के नाम पर स्कूल और सरकारी दफ्तरों में छुट्टियां रद्द करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई। संभावना जताई जा रही है कि ये छुटियाँ होंगी निरस्त :-
1.परशुराम जयंती
2.चंद्रशेखर जयंती,
3.महाराणा प्रताप जयंती
 4.कर्पूरी ठाकुर जयंती,
5.महर्षि कश्यप एवं महाराज गुह्य जयंती,
6.सरदार वल्लभ भाई पटेल जयंती,
7.ऊदा देवी शहीद दिवस
8.महाराजा अग्रसेन जयंती
9.हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती अजमेरी गरीब नवाज का उर्स
10.चेटीचंद
11.वाल्मीकि जयंती,
12.संत रविदास जयंती, 13.अम्बेडकर परिनिर्वाण दिवस,
14.डॉ़ अम्बेडकर जयंती
15.चौधरी चरण सिंह जयंती

Tuesday 25 April 2017

सुप्रीम कोर्ट ने मंजूर किया यूपी सरकार का प्रस्ताव, यूपी पुलिस में हर साल भर्ती होंगे 30 हजार सिपाही, 3200 एसआई: सरकार पुलिस में खाली 1.50 लाख पदों को 4 साल में भर्ती कर भरे

यूपी सरकार पुलिस में खाली 1.50 लाख पदों को 4 साल में भरे। इससे लॉ ऐंड ऑर्डर की स्थिति में सुधार होगा। अगर इस योजना के तहत यूपी में भर्ती नहीं हुई तो इसके लिए यूपी के प्रिंसिपल सेक्रेटरी (होम) जिम्मेदार होंगे। - सुप्रीम कोर्ट

पुलिस में खाली पड़े 1.50 लाख पद 2023 तक भरे जाएंगे। इसके लिए सालाना 3200 सब इंस्पेक्टरों की भर्ती प्रक्रिया 2018 से शुरू होगी। इसके अलावा इस समय यूपी में एक लाख 87 हजार 790 सिपाही कार्यरत हैं और 1 लाख 36 हजार 335 पद खाली हैं। खाली पदों में से 34 हजार 716 सिपाहियों की भर्ती का मामला हाई कोर्ट में पेंडिंग है। बाकी बचे करीब एक लाख पदों पर भर्ती अगस्त से शुरू हो जाएगी। भर्ती प्रक्रिया पूरी होने में दो साल का वक्त लगता है। ऐसे में हर साल 30 हजार पद भरकर 2021 तक सभी वैकंसी भर दी जाएंगी। अदालत ने बिहार, झारखंड व वेस्ट बंगाल द्वारा पेश किए गए रोडमैप को भी स्वीकार कर लिया।

• एनबीटी ब्यूरो, नई दिल्ली: यूपी पुलिस में खाली पड़े पदों पर भर्ती के लिए हर साल 3200 सब इंस्पेक्टर और 30 हजार सिपाही भर्ती किए जाएंगे। प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सामने यह रोडमैप रखा है। सरकार के रोड मैप को कोर्ट ने मंजूरी दे दी है।

यूपी, बिहार और चार अन्य राज्यों में पुलिस के खाली पड़े पदों पर पिछली सुनवाई में कोर्ट ने चिंता जताई थी। साथ ही सभी राज्यों के गृह सचिवों को सोमवार को व्यक्तिगत तौर पर पेश होने या अपने किसी अफसर को भेजने का आदेश दिया था। कोर्ट ने राज्यों से पूछा था कि उनके पास क्या रोडमैप है/ किस तरह से ये वैकन्सी भरी जाएंगी, इस बारे में कोर्ट को बताएं।

यूपी सरकार की ओर से पेश एडवोकेट रवि पी. महरोत्रा ने चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अगुआई वाली बेंच के सामने सोमवार को पुलिस भर्ती को लेकर तैयार किया गया रोडमैप पेश किया।

महिलाओं को मिलेगी घर के पास तैनाती : 5 . 85 लाख शिक्षकों के लिए स्थानांतरण नीति जल्द

5. 85 लाख शिक्षकों के लिए स्थानांतरण नीति 

UPTET 72825 और शिक्षामित्र वैधता पर मा० उच्चत्तम न्यायालय में 26 अप्रैल को सुनवाई सुनिश्चित : हिमांशु राणा

अन्य स्रोत से----

नमस्कार मित्रों ,
जैसा कि आपको विदित है कि अपना केस मा० उच्चत्तम न्यायालय में 26 अप्रैल को सुना जाना सुनिश्चित है,
उसी क्रम में कल आपकी इस टीम द्वारा राज्य एवं केंद्र सरकार के साथ-साथ मा० न्यायालय को हर तरह से बीएड वालों के हित में आदेश करने हेतु न्यायिक तौर पर शोध करने को विवश करने के लिए बीएड वालों की नियुक्ति हेतु समय सीमा बढाने एवं टीईटी जिसकी वैधता का जिक्र मा० न्यायाधीश श्री दीपक मिश्र जी ने 17 नवम्बर 2017 के आदेश में किया भी था को बढाने हेतु दिशा/निर्देश अंतरिम प्रार्थना पत्र (डायरेक्शन अप्लिकेशन) आपकी याचिका 167/2015,107/2016 एवं 120/2016 में डाल दिया गया है |

सोती शिक्षिका के फोटो वायरल करने पर घिरे बीएसए: शिक्षक संगठनों के विरोध में आने पर बीएसए बैकफुट पर

जागरण, लखीमपुर: कक्षा में सोती शिक्षिका का फोटो खिंचवाकर वाहवाही लूट रहे बीएसए फोटो को लेकर खुद घिर गए । शिक्षिका का फोटो सोशल मीडिया पर वायरल होने पर शिक्षक संगठनों ने बीएसए को कठघरे में खड़ा कर दिया। साथ ही अन्य लोगों ने भी निंदा की। अब बीएसए शिक्षिका को निलंबित किए जाने की बात को भी खारिज कर रहे हैं। इतना ही नहीं महिला का फोटो वायरल करने वाला स्टेनो अब लिखित में माफी मांगता फिर रहा है। बीएसए से मिले संघ के जिलाध्यक्ष संजीव त्रिपाठी ने इसे निजता के हनन का मामला बताया है। कई अन्य संगठनों ने भी इस मामले पर अपनी नाराजगी जताई है। उनका कहनाहै कि इस तरह फोटो खिंचाना और व्हाट्स ग्रुप पर वायरल करना शिक्षिका का अपमान है।इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

ये था मामला
बुधवार को बीएसए संजय शुक्ला ने उन्नीस स्कूलों का औचक निरीक्षण किया था। यहां बीएसए को अजब-गजब मामले दिखाई दिए। ऐसे ही सिकंदराबाद के एक स्कूल में महिला टीचर अपनी बच्ची को गोद में लेकर सोती हुई मिली। साहब के स्टेनो ने उसका फोटो खींच लिया। अगले ही पल वह शिक्षा विभाग के एक व्हाटसएप ग्रुप से बाईपास होते हुए जिले के कई ग्रुपों में वायरल हो गई। उनके आफिस से बाकायदा इस बात की पुष्टि की जाने लगी कि ये घटना हुई है और उस टीचर को निलंबित किया गया है।

रातोंरात बदले हालात
बुधवार दोपहर बाद से वायरल होने लगी उस फोटो को लेकर गुरुवार सुबह तक हालात बदल चुके थे। न जाने कितने खबरिया चैनल बीएसए की बाइट लेने उनके दफ्तर के बाहर जमा हो गए। शिक्षक नेता लासमबंद होकर दफ्तर पहुंच गए मामला उल्टा पड़ता देख बीएसए साहब ने ये तक कह दिया कि उस टीचर को निलंबित ही नहीं किया गया। इतना ही बीएसए के स्टेनो ने बाकायदा लिखित में ग्रुप पर अपना माफीनाम भी डाला और टीचर से माफी मांग ली। इधर भाजपा नेता व जिला पंचायत सदस्य अनूप शुक्ला ने इसे नारी के अपमान का मुददा बताया और बीएसए के इस्तीफे की मांग कर डाली। हंिदूू जागरण मंच ने भी इस घटना की निंदा करते हुए बीएसए पर कार्रवाई की मांग की है। मंच के अध्यक्ष राहुल तिवारी व मंत्री संजीव सनातन ने ऐसी घटनाओं को रोकने की भी मांग की है।

शिक्षामित्रों को सीएम ने दिया पैरवी का आश्वासन: शिक्षामित्रों को टीईटी से छूट और 72825 मामले की 26 को होनी है सुनवाई

लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिक्षामित्रों को भरोसा दिलाया है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट में उनके मामले में वरिष्ठ अधिवक्ताओं के पैनल के जरिये मजबूत पैरवी करेगी। सोमवार को वह अपने सरकारी आवास पर उप्र दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत कर रहे थे। शिक्षामित्रों को टीईटी से छूट दिये जाने और 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों के मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट 26 अप्रैल को करेगा। संघ के अध्यक्ष अनिल यादव की अगुआई में मुलाकात करने गए प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से इस मामले में सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में प्रभावी पैरवी करने का अनुरोध किया था।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला - आरक्षितों को सिर्फ कोटे में ही नौकरी, सामान्य श्रेणी में नहीं

22 -अप्रैल 2017: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को आरक्षित वर्ग में नौकरी के संबंध में एक अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि आरक्षित वर्ग के उम्मीदवार को आरक्षित वर्ग में ही नौकरी मिलेगी, चाहे उसने सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों से ज्यादा अंक क्यों न हासिल किए हों।

दोहरा लाभ नहीं :  जस्टिस आर भानुमति और जस्टिस एएम खानविल्कर की पीठ ने कहा कि एक बार आरक्षित वर्ग में आवेदन कर उसमें छूट और अन्य रियायतें लेने के बाद उम्मीदवार आरक्षित वर्ग के लिए ही नौकरी का हकदार होगा। उसे समान्य वर्ग में समायोजित नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने यह फैसला आरक्षित वर्ग की महिला उम्मीदवार के मामले में दिया। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से गुहार लगाई थी कि उसे सामान्य वर्ग में नौकरी दी जाए, क्योंकि उसने लिखित परीक्षा में सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों से ज्यादा अंक हासिल किए हैं।

नियम का हवाला : कोर्ट ने कहा कि डीओपीटी की 1 जुलाई 1999 की कार्यवाही के नियम तथा ओएम में साफ है एससी/एसटी और ओबीसी के उम्मीदवार को, जो अपनी मेरिट के आधार पर चयनित होकर आए हैं, उन्हें आरक्षित वर्ग में समायोजित नहीं किया जाएगा।उसी तरह जब एससी/एसटी और ओबीसी उम्मीदवारों के लिए छूट के मानक जैसे उम्रसीमा, अनुभव, शैक्षणिक योग्यता, लिखित परीक्षा के लिए अधिक अवसर दिए गए हों तो उन्हें आरक्षित रिक्तियों के लिए ही विचारित किया जाएगा। ऐसे उम्मीदवार अनारक्षित रिक्तियों के लिए अनुपलब्ध माने जाएंगे।