22 -अप्रैल 2017: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को आरक्षित वर्ग में नौकरी के संबंध में एक अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि आरक्षित वर्ग के उम्मीदवार को आरक्षित वर्ग में ही नौकरी मिलेगी, चाहे उसने सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों से ज्यादा अंक क्यों न हासिल किए हों।
दोहरा लाभ नहीं : जस्टिस आर भानुमति और जस्टिस एएम खानविल्कर की पीठ ने कहा कि एक बार आरक्षित वर्ग में आवेदन कर उसमें छूट और अन्य रियायतें लेने के बाद उम्मीदवार आरक्षित वर्ग के लिए ही नौकरी का हकदार होगा। उसे समान्य वर्ग में समायोजित नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने यह फैसला आरक्षित वर्ग की महिला उम्मीदवार के मामले में दिया। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से गुहार लगाई थी कि उसे सामान्य वर्ग में नौकरी दी जाए, क्योंकि उसने लिखित परीक्षा में सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों से ज्यादा अंक हासिल किए हैं।
नियम का हवाला : कोर्ट ने कहा कि डीओपीटी की 1 जुलाई 1999 की कार्यवाही के नियम तथा ओएम में साफ है एससी/एसटी और ओबीसी के उम्मीदवार को, जो अपनी मेरिट के आधार पर चयनित होकर आए हैं, उन्हें आरक्षित वर्ग में समायोजित नहीं किया जाएगा।उसी तरह जब एससी/एसटी और ओबीसी उम्मीदवारों के लिए छूट के मानक जैसे उम्रसीमा, अनुभव, शैक्षणिक योग्यता, लिखित परीक्षा के लिए अधिक अवसर दिए गए हों तो उन्हें आरक्षित रिक्तियों के लिए ही विचारित किया जाएगा। ऐसे उम्मीदवार अनारक्षित रिक्तियों के लिए अनुपलब्ध माने जाएंगे।
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