परिषदीय और सहायताप्राप्त विद्यालयों में फर्जी शिक्षकों के पढ़ाने की शिकायतों पर केंद्र सरकार की भृकुटि तन गई है। केंद्र सरकार के मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रलय ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर परिषदीय और सहायताप्राप्त विद्यालयों में नियुक्त शिक्षकों की फोटो स्कूल के नोटिस बोर्ड पर लगाने के लिए कहा है। निश्शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम की धारा 24(1)(ए) में यह व्यवस्था है कि शिक्षक स्कूल में नियमित रहने के साथ समयबद्धता का भी पालन करेगा। यह बात और है कि परिषदीय विद्यालयों में शिक्षक इस नियम की धज्जियां उड़ाते हैं। परिषदीय विद्यालयों में आमतौर पर यह शिकायतें मिलती हैं कि शिक्षक स्कूल में पढ़ाने नहीं आते। सुदूरवर्ती इलाकों के स्कूलों में ऐसी भी शिकायतें मिलती हैं कि स्कूल में नियुक्त शिक्षक पढ़ाने की बजाय खुद स्कूल से गायब रहते हैं और खंड शिक्षा अधिकारी व विद्यालय के प्रधानाचार्य से सांठगांठ कर अपनी जगह किसी दूसरे व्यक्ति को प्रतिस्थानी के तौर पर स्कूल में पढ़ाने भेजते हैं। इसके लिए वे खंड शिक्षा अधिकारी की मुट्ठी गर्म करने के साथ अपने वेतन का कुछ हिस्सा उस व्यक्ति को भी देते हैं जो उनकी जगह बच्चों को पढ़ाने का काम करता हो। लंबे समय से यह गोरखधंधा चल रहा है और बेसिक शिक्षा विभाग इस पर प्रभावी तरीके से अंकुश नहीं लगा पा रहा है। एचआरडी मंत्रलय ने इस समस्या की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए राज्य सरकार को अप्रैल 2016 में पत्र लिखा था और इसे रोकने के लिए की गई कार्यवाही की जानकारी मांगी थी। अगस्त 2016 में एचआरडी मंत्रलय ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर बताया कि इस बाबत 10 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने जानकारी उपलब्ध करायी है लेकिन उप्र ने नहीं। लिहाजा एचआरडी मंत्रलय ने इस बार पत्र लिखकर राज्य सरकार से कहा है कि सभी परिषदीय और सहायताप्राप्त विद्यालयों के नोटिस बोर्ड पर स्कूल में तैनात शिक्षकों की फोटो उनकी श्रेणी के अनुसार लगायी जाएं। फर्जी अध्यापकों का गोरखधंधा रोकने की पहल केंद्र के एचआरडी मंत्रलय ने राज्य सरकार को भेजा पत्र।
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