उत्तर प्रदेश में 72,825 सहायक अध्यापकों की भर्ती के मामले में स्थिति को स्पष्ट करते हुए हाईकोर्ट के एकल न्यायपीठ ने कहा कि सहायक अध्यापक भर्ती के लिए टीईटी उत्तीर्ण करना अनिवार्य है।
बिना टीईटी उत्तीर्ण किए बीएड डिग्री धारकों का चयन मात्र आपात परिस्थिति में तभी किया जा सकता है जबकि टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थी उपलब्ध न हों और शिक्षकों के पद भरना आवश्यक हो। ऐसी स्थिति में ही बिना टीईटी उत्तीर्ण बीएड डिग्री धारकों पर विचार किया जा सकता है।
16 जनवरी 2012 को प्रभाकर सिंह केस में न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली खंडपीठ द्वारा दिए आदेश की व्याख्या करते हुए एकलपीठ ने कहा है कि बीएड डिग्री धारकों के संबंध में खंडपीठ की टिप्पणी को आदेश नहीं माना जाना चाहिए। बीएड उत्तीर्ण अभ्यर्थी संजय कुमार सहित 42 याचियों की याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण टंडन ने दिया है।
मालूम हो कि 16 जनवरी 2013 के आदेश में खंडपीठ ने बिना टीईटी उत्तीर्ण बीएड अभ्यर्थियों को भी सहायक अध्यापक भर्ती की आवेदन प्रक्रिया में शामिल करने का निर्देश दिया है। खंडपीठ का यह आदेश एकल न्यायाधीश के 11 नवंबर 2011 के आदेश के खिलाफ दाखिल विशेष अपील पर आया है। विशेष अपील में एनसीटीई द्वारा 23 अगस्त 2010 को जारी अधिसूचना पर विचार किया गया।
इस अधिसूचना में एनसीटीई ने परिषदीय विद्यालयों में कक्षा एक से पांच तक तथा कक्षा छह से आठ तक अध्यापकों की भर्ती के लिए न्यूनतम योग्यता निर्धारित की है। इसके मुताबिक परिषदीय विद्यालयों में अध्यापक की नियुक्ति के लिए विभिन्न अध्यापक शिक्षा पाठ्यक्रमों के साथ ही टीईटी उत्तीर्ण करना आवश्यक है।
अधिसूचना के सब क्लॉज तीन में एनसीटीई ने कहा है कि बिना टीईटी उत्तीर्ण बीएड डिग्री धारक कक्षा एक से पांच तक के विद्यालय में अध्यापन के लिए अर्ह होंगे बशर्ते उनको नियुक्ति के पश्चात् छह माह का विशेष प्रशिक्षण कराया जाए।
इन अभ्यर्थियों की नियुक्ति एक जनवरी 2012 तक की जा सकेगी। 16 जनवरी के आदेश में खंडपीठ ने भी इस बात को स्पष्ट किया है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने 20 जुलाई 2012 को केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजकर कहा था कि एनसीटीई द्वारा निर्धारित न्यूनतम योग्यता के अनुसार पर्याप्त संख्या में अभ्यर्थी नहीं मिल पा रहे हैं इसलिए सब क्लॉज तीन के अनुसार बीएड डिग्री धारकों की भर्ती के लिए समय सीमा को एक जनवरी 2012 से आगे बढ़ा दी जाए।
केंद्र सरकार ने इस स्वीकार करते हुए समय सीमा 31 मार्च 2014 तक इस शर्त के साथ बढ़ा दी कि सहायक अध्यापक भर्ती में प्राथमिकता टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को दी जाएगी। इसके बाद सब क्लॉज तीन के अनुसार बीएड डिग्र्री धारकों के संबंध में विचार किया जा सकता है।
बिना टीईटी उत्तीर्ण किए बीएड डिग्री धारकों का चयन मात्र आपात परिस्थिति में तभी किया जा सकता है जबकि टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थी उपलब्ध न हों और शिक्षकों के पद भरना आवश्यक हो। ऐसी स्थिति में ही बिना टीईटी उत्तीर्ण बीएड डिग्री धारकों पर विचार किया जा सकता है।
16 जनवरी 2012 को प्रभाकर सिंह केस में न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली खंडपीठ द्वारा दिए आदेश की व्याख्या करते हुए एकलपीठ ने कहा है कि बीएड डिग्री धारकों के संबंध में खंडपीठ की टिप्पणी को आदेश नहीं माना जाना चाहिए। बीएड उत्तीर्ण अभ्यर्थी संजय कुमार सहित 42 याचियों की याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण टंडन ने दिया है।
मालूम हो कि 16 जनवरी 2013 के आदेश में खंडपीठ ने बिना टीईटी उत्तीर्ण बीएड अभ्यर्थियों को भी सहायक अध्यापक भर्ती की आवेदन प्रक्रिया में शामिल करने का निर्देश दिया है। खंडपीठ का यह आदेश एकल न्यायाधीश के 11 नवंबर 2011 के आदेश के खिलाफ दाखिल विशेष अपील पर आया है। विशेष अपील में एनसीटीई द्वारा 23 अगस्त 2010 को जारी अधिसूचना पर विचार किया गया।
इस अधिसूचना में एनसीटीई ने परिषदीय विद्यालयों में कक्षा एक से पांच तक तथा कक्षा छह से आठ तक अध्यापकों की भर्ती के लिए न्यूनतम योग्यता निर्धारित की है। इसके मुताबिक परिषदीय विद्यालयों में अध्यापक की नियुक्ति के लिए विभिन्न अध्यापक शिक्षा पाठ्यक्रमों के साथ ही टीईटी उत्तीर्ण करना आवश्यक है।
अधिसूचना के सब क्लॉज तीन में एनसीटीई ने कहा है कि बिना टीईटी उत्तीर्ण बीएड डिग्री धारक कक्षा एक से पांच तक के विद्यालय में अध्यापन के लिए अर्ह होंगे बशर्ते उनको नियुक्ति के पश्चात् छह माह का विशेष प्रशिक्षण कराया जाए।
इन अभ्यर्थियों की नियुक्ति एक जनवरी 2012 तक की जा सकेगी। 16 जनवरी के आदेश में खंडपीठ ने भी इस बात को स्पष्ट किया है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने 20 जुलाई 2012 को केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजकर कहा था कि एनसीटीई द्वारा निर्धारित न्यूनतम योग्यता के अनुसार पर्याप्त संख्या में अभ्यर्थी नहीं मिल पा रहे हैं इसलिए सब क्लॉज तीन के अनुसार बीएड डिग्री धारकों की भर्ती के लिए समय सीमा को एक जनवरी 2012 से आगे बढ़ा दी जाए।
केंद्र सरकार ने इस स्वीकार करते हुए समय सीमा 31 मार्च 2014 तक इस शर्त के साथ बढ़ा दी कि सहायक अध्यापक भर्ती में प्राथमिकता टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को दी जाएगी। इसके बाद सब क्लॉज तीन के अनुसार बीएड डिग्र्री धारकों के संबंध में विचार किया जा सकता है।
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