साल 2014 भी बेरोजगारों के लिए निराशा भरा रहा। शिक्षक बनने के लिए तीन साल से दौड़ लगा रहे पढ़े-लिखे युवाओं को सरकारी मशीनरी की गलती के कारण सड़क की धूल फांकनी पड़ रही है। यदि अफसर देर न करते तो 72,825 परिवार गए साल आबाद हो जाते। नतीजा यह है कि नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून लागू हुए साढ़े तीन साल
हो चुके हैं लेकिन यूपी के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी दूर नहीं हो सकी है।
हो चुके हैं लेकिन यूपी के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी दूर नहीं हो सकी है।
अदूरदशिता के कारण शिक्षकों के साढ़े पांच लाख पदों में दो लाख से अधिक खाली हैं।दरअसल जुलाई 2011 में आरटीई लागू होने के बाद 13 नवंबर को पहली बार टीईटी कराया गया था। इसके बाद नवंबर 2011 के अंत में 72,825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भती प्रक्रिया टीईटी मेरिट के आधार पर तत्कालीन बसपा सरकार में शुरू हुई। लेकिन धांधली के आरोप लगने के कारण सपा सरकार ने टीईटी मेरिट की बजाय एकेडमिक रिकार्ड के आधार पर 72,825 पद भरने का निर्णय लिया।
हाईकोर्ट ने 20 नवंबर 2013 को टीईटी मेरिट पर भर्ती का आदेश दिया जिसे सपा सरकार ने सुप्रीम कोट में चुनौती दी।25 मार्च 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को 12 सप्ताह में टीईटी मेरिट पर 72,825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती के आदेश दिए।
लेकिन अफसरों की नाकामी के कारण चार महीने में प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी और लाखों बेरोजगार आज भी सड़क की खाक छान रहे हैं।10 अप्रैल 2012 की रिपोर्ट में उस्मानी कमेटी ने कक्षा 1 से 8 तक के स्कूलों में 2.70 लाख शिक्षकों की कमी बताई थी। इनमें से 1.70 लाख सहायक अध्यापकों के पद शिक्षामित्रों के समायोजन से भरने और एक लाख पदों पर सीधी भती की बात कही गई थी। आरटीई के अनुसार शिक्षकों के सभी पद 31 मार्च 2015 तक भरने की कानूनी बाध्यता है। दो साल में लगभग 76 हजार शिक्षकों की नियुक्ति हो चुकी है। लेकिन इस दौरान लगभग 24 हजार शिक्षक रिटायर हो गए।
प्रदेश में 2014 में नियुक्त हुए 63 हजार शिक्षक
बेरोजगारों की दृष्टि से 2014 भले ही निराशाजनक रहा हो लेकिन शिक्षामित्रों को बड़ी उपलब्धि मिली। 2014 में सरकार ने पहले चरण में 58 हजार से अधिक शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पद पर समायोजित कर दिया। शिक्षामित्रों को वेतन भी जारी कर दिया गया। इसके अलावा प्राइमरी स्कूलों में 10 हजार सहायक अध्यापकों की भती प्रक्रिया में 5030 अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र जारी किए गए।
29,334 की भती भी पूरी नहीं हो सकी
उच्च प्राथमिक स्कूलों में गणित और विज्ञान विषय के 29,334 सहायक अध्यापकों की भर्ती भी 2014 में पूरी नहीं हो सकी। सरकार ने 11 जुलाई 2013 को प्रक्रिया शुरू की थी। पांच राउंड काउंसिलिंग करवाने के बावजूद कानूनी अड़चनों के कारण अभ्यर्थियों को अभी तक नियुक्ति पत्र नहीं मिल सके हैं।
अधर में हैं 1.72 लाख शिक्षामित्र
प्राइमरी स्कूलों के 1.72 लाख शिक्षामित्र भी अधर में फंसे हैं। सरकार ने पहले राउंड में 58 हजार से अधिक शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पद पर समायोजित कर वेतन जारी कर दिया है। लेकिन बीटीसी प्रशिक्षुओं ने समायोजन के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर कर रखी है।
15 हजार की भर्ती से असंतुष्ट अभ्यर्थी
प्राइमरी स्कूलों में 15 हजार सहायक अध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया भी देर से शुरू हो सकी। बेसिक शिक्षा परिषद ने अगस्त में प्रस्ताव भेजा था लेकिन शासनादेश दिसम्बर में जारी हो सका। चार महीने लंबी आवेदन प्रक्रिया से 2011 बैच के बीटीसी प्रशिक्षुओं में नाराजगी है।
न्याय के मंदिर से बेरोजगारों को उम्मीद
आने वाले साल में बेरोजगारों को हाईकोट और सुप्रीम कोट से ही इंसाफ की उम्मीद है। सुप्रीम कोट के 17 दिसम्बर के आदेश के अनुसार यदि सरकार डेढ़ महीने में 72,825 प्रशिक्षु शिक्षकों को नियुक्ति पत्र जारी कर देती है तो साल की शुरूआत बेरोजगारों के लिए अच्छी होगी। इसके अलावा विज्ञान और गणित विषय के 29,334 सहायक अध्यापकों की भती का विवाद भी नए साल में सुलझने की उम्मीद है।
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