09 मई 2017: लखनऊ : केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि अगले सत्र से हर स्कूल की कक्षा के सामने यह लिखा होगा कि इस कक्षा के बच्चे को क्या आना चाहिए। जवाबदेही के लिए शिक्षक को लिखकर देना होगा कि अमुक बच्चे को क्या आ रहा है। अभिभावक लिखित रूप से इसे पुष्ट करेंगे। जावड़ेकर सोमवार को गोमतीनगर में सिटी मांटेसरी स्कूल (सीएमएस) की ओर से आयोजित गोष्ठी के मुख्य अतिथि थे। उन्होंने कहा कि हर बच्चा खुद में खास है। शिक्षक और अभिभावक का फर्ज है कि वह इसे जानें और उजागर करें। सरकार ने तय कर दिया है कि कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को क्या आना चाहिए, इसके लिए प्रदेश के शिक्षा मंत्रियों को पत्र लिख चुका हूं। शीघ्र ही बैठक भी करूंगा। अभिभावक भी जवाबदेह बनें मंत्री ने कहा कि सब कुछ स्कूल व शिक्षक के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता। अभिभावक भी कुछ जवाबदेह बनें। मसलन वह रोज बच्चे से पूछें कि शिक्षक आए थे कि नहीं। आए थे तो क्या पढ़ाए। बच्चे को घर पर तीन घंटे पढ़ने के लिए प्रेरित करें। जान जोखिम में डालकर नकल कराने से तो यह बेहतर है।
उप्र का नकल कारोबार रोकना चुनौती सबको न सिर्फ शिक्षा, बल्कि अच्छी शिक्षा का हक है। कोई स्कूल अच्छा या खराब नहीं होता, जहां कड़ियां टूट जाती हैं वहीं गड़बड़ी भी आती है। इसी नाते स्कूलों की श्रेणियां बन गईं हैं। हमारे लिए यह चिंता का विषय है। मेरा मानना है कि अगर केंद्रीय एवं नवोदय विद्यालय बेहतर कर सकते हैं तो बाकी सरकारी स्कूल भी। पिछले वर्ष नवोदय विद्यालयों से रिकार्ड बच्चे आइआइटी में चयनित हुए थे। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान और महाराष्ट्र ने शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर काम किया है। बाकी राज्यों को भी करना होगा। हालांकि उत्तर प्रदेश जैसे राज्य जहां नकल कारोबार बन चुका है, वह हमारे लिए चुनौती है, लेकिन सबकी सहभागिता से हम स्थिति सुधारेंगे। जरूरत के अनुसार प्यार और डर दोनों से। नियमन सत्र व क्लास प्राथमिकता : डा. शर्मा उप मुख्यमंत्री डा.दिनेश शर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार शिक्षा की बेहतरी के लिए प्रतिबद्ध है। सत्र नियमन, नकल विहीन परीक्षा और साल में न्यूनतम दो सौ दिन कक्षाएं चलें, सरकार इसे सुनिश्चत कराएगी।
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