शिक्षामित्र पक्ष की तीन दिन की बहस के बाद, रामजेठमलानी और शांतिभूषण जैसे दिग्गजों की जिरह के बाद, शिक्षामित्र पक्ष की ओर से तीन बिंदु तैयार हुए...
1 . हाईकोर्ट से शिक्षामित्रों को हटाने के पूर्व किसी शिक्षामित्र को नोटिस नहीं भेजा जिससे हाईकोर्ट का समायोजन निरस्त करने का फैसला गलत हो।
2. RTE Act section 23(2) के तहत शिक्षामित्रों को छूट प्राप्त थी, अत: उनका समायोजन वैध है।
3. बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 के क्लाज़ 8 में शिक्षक बनने की योग्यता लिखी गई है जिसमें राज्य सरकार ने शिक्षामित्रों को भी स्थान दिया है, अत: शिक्षक पद पर इनका समायोजन वैध है।
**और**
प्रतिवादियों को निम्नलिखित जवाब देंने होंगे जिससे शिक्षामित्रों के दावों को खारिज किया जा सकता है
प्रतिवादियों को निम्नलिखित जवाब देंने होंगे जिससे शिक्षामित्रों के दावों को खारिज किया जा सकता है
1. शिक्षामित्रों के समायोजन का शासनादेश जारी होने के बाद उसके विरुद्ध दाखिल मुकदमें में शिक्षामित्र समुदाय ने स्वयं को पक्षकार बनाया। न्यायमूर्ति प्रदीप कुमार सिंह बघेल ने अंतरिम आदेश दिया कि शिक्षामित्रों की नियुक्ति याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन रहेगी और सभी शिक्षामित्रों के नियुक्ति पत्र पर यह बात अंकित की जाय। अत: शिक्षामित्रों का समायोजन निरस्त करना विधिसम्मत है। अत: किसी भी नोटिस की जरूरत नहीं थी।
2. RTE Act section 23(1) द्वारा निर्धारित योग्यता के शिक्षक न मिलने पर Section 23(2) के तहत B. Ed. के लिए छूट मांगी गई थी, और इस छूट से शिक्षामित्रों का कोई संबंध नहीं है। भारत सरकार के राजपत्र 23.08.2010 के पैरा(3) में B.Ed के लिए छूट का स्पष्ट जिक्र है।
3. Rule-8 में वह योग्यताएं वर्णित हैं जिन्हें Rule-14 के तहत सहायक अध्यापक बनाया जाता है, उदाहरण--जैसे B.T.C आदि। शिक्षामित्रों को RTE Act के पूर्व का शिक्षक बताकर प्रशिक्षण हेतु NCTE से प्रशिक्षण की इजाजत ली गई थी । अत: Rue-8 से इनका कोई संबंध नहीं है क्योंकि ये महज एक संविदाकर्मी हैं। नियमावली के संशोधन -19 के तहत सेवा नियमावली में इनके हेतु जो भी प्रावधान हुआ था, उसे इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने शिक्षामित्र पद पर सर्विस रूल पर चयन न होने के कारण नियमावली के संशोधन-19 को ही रद्द कर दिया है। अत: शिक्षामित्रों के समायोजन के बचने का कोई भी विधिक आधार मौजूद नहीं है।
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