लखनऊ। प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती में डीएड (विशेष शिक्षा) डिग्री धारकों की नियुक्ति की राह साफ हो गई है। सरकार को इस मामले में उच्चतम न्यायालय से कोई राहत नहीं मिल सकी है। डीएड धारकों ने इसी अधार पर लामबंद होना शुरू कर दिया है। उन्होंने 15 हजार भर्तियों में खुद को शामिल करने की मांग उठाई है। डीएड (विशेष शिक्षा) की प्रशिक्षण प्रक्रिया बीटीसी के ही समान है। अंतर सिर्फ यह है कि इसमें गूंगे, बहरे, अंधे या मंदबुद्धि बच्चों को भी पढ़ाने का विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है। इसी आधार पर डीएड अभ्यर्थियों ने 2013 में ही दस हजार पदों की भर्ती में खुद को शामिल करने की मांग उठाई थी। सरकार की ओर से कोई रुचि न लिए जाने पर उन्होंने लंबी अदालती लड़ाई लड़ी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया था कि ऐसे अभ्यर्थियों को भी भर्ती में शामिल किया जाए। इस फैसले के विरोध में सरकार ने उच्चतम न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दायर की थी जो कि कुछ दिनों पहले ही खारिज कर दी गई है।
इस फैसले के परिप्रेक्ष्य में बुधवार को डीएड अभ्यर्थियों ने बैठक की जिसमें पंद्रह हजार अभ्यर्थियों की भर्ती प्रक्रिया में उन्हें भी शामिल करने की मांग उठाई गई। विशेष शिक्षक कल्याण संघ के प्रदेश अध्यक्ष पुष्पराज सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के की गाइडलाइन के अनुसार भी वह नियुक्ति पाने के हकदार हैं। बैठक में उपस्थित याचीगणों के अधिवक्ता शिव किंकर सिंह ने बताया कि यदि सरकार ने अब भी सकारात्मक कदम आगे नहीं बढ़ाया तो लंबित अवमानना याचिकाओं के आधार पर लड़ाई लड़ी जाएगी।
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