राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : पारदर्शिता का संदेश देने की कोशिश में उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग ने पहले चरण की परीक्षा की आनन-फानन 'आंसर की' क्या जारी कि मानो खुद के लिए आफत मोल ले ली। इतनी आपत्तियां आईं कि जवाब देना मुश्किल हो गया।
आखिरकार अब आयोग ने अपनी तेजी से तौबा कर ली। तय हुआ है कि परीक्षाओं का सभी चरण पूरा करने के बाद ही अब आंसर की जारी की जाएगी। यह हाल माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड का भी है।
प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक परीक्षा (टीजीटी) की आंसर की उसके गले में अटक सी गई है। हर विषय में आपत्तियों की भरमार है। यहां तक कि अभ्यर्थियों ने शारीरिक शिक्षा जैसे विषय में एक दर्जन से अधिक सवालों पर बोर्ड को कटघरे में खड़ा कर दिया है। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग को अपने प्रश्नों के गलत विकल्पों की वजह से पूर्व में हाईकोर्ट तक में किरकिरी झेलनी पड़ चुकी है। कर्मचारी चयन आयोग को भी फजीहत का सामना करना पड़ चुका है।
परीक्षा संस्थाओं की इस छीछालेदर के पीछे की वजह विशेषज्ञों के पैनल की कमजोरी को माना जा रहा है।
उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के पूर्व सदस्य अमरेश त्रिपाठी 'निराला' भी इससे इत्तफाक रखते हैं। हालांकि वे इसके अन्य कारण भी गिनाते हैं। उनके अनुसार आयोग का गठन पूरी तरह होना चाहिए। अध्यक्ष, सचिव के साथ परीक्षा नियंत्रक पद पर किसी की नियुक्ति होनी चाहिए। इससे जिम्मेदारियां तय होती हैं। इसका परीक्षा पर असर पड़ता है। अमरेश के अनुसार आयोग पहली बार परीक्षा ले रहा है, इसलिए उसे प्रश्नपत्रों को लेकर अधिक गंभीरता बरतनी चाहिए थी।
अभ्यर्थियों की समस्या यह है कि प्रश्नपत्रों में जो सवाल पूछे जा रहे हैं, उनके उत्तरों को लेकर भ्रम की स्थिति है। ऐसी दशा में उनका भविष्य पूरी तरह आपत्तियों के बाद उस पर फैसला लेने वाले विशेषज्ञों के हाथ में हो जाता है। माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड के सदस्य रहे सतीश दुबे कहते हैं कि परीक्षा संस्थाएं अक्सर इसकी जिम्मेदारी किसी एजेंसी को सौंप कर निश्चिंत हो जाती हैं, जिससे सवालों को लेकर भ्रम खड़ा हो जाता है। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि परीक्षा प्रक्रिया को लेकर शुरू से ही सावधानी बरती जाए। हालांकि वह आंसर की जारी करने को स्वस्थ परंपरा मानते हैं।
उनके अनुसार इससे छात्रों को स्वयं के आकलन का अवसर मिल जाता है। लेकिन यदि बड़ी संख्या में सवालों पर उंगलियां उठ रही हैं तो निश्चित तौर पर इसके लिए परीक्षा संस्था को ही जिम्मेदार माना जाना चाहिए
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