फतेहपुर, जागरण संवाददाता : प्रथम चरण में शिक्षामित्र से सहायक अध्यापक बनने वाले तीन शिक्षामित्र फर्जीवाड़े की जद में आ गए हैं। विभाग ने अंतिम मौका देते हुए 15 दिन के अंदर पक्ष रखने को कहा है। सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित 945 शिक्षामित्रों में तीन की नौकरी जाना तय है। इन तीनों ने कूट रचना करके नौकरी पायी थी। बोर्ड से आए सत्यापन और ग्राम शिक्षा समिति के प्रस्ताव में दर्ज शैक्षिक अंकों में समानता नहीं है। उन्होंने मेरिट बनाने के लिए समिति के प्रस्ताव में बढ़े अंकों का शैक्षिक प्रमाणपत्र लगाया। सत्यासन के समय सही अंकों वाला शैक्षिक प्रमाणपत्र लगा दिया। दोनों में आयी असमानता के चलते मामला पकड़ में आया।
मामला 1:
हसवा ब्लाक के फरीदपुर निवासी राजेश कुमार पुत्र शिवमोहन का है। 31 जुलाई को इन्हें विजयीपुर के चितनपुर प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित किया। विभागीय जांच में पाया गया कि बोर्ड से आए सत्यापन में हाईस्कूल में 267/600 एवं इंटर में 222/500 अंक हैं। जबकि ग्राम शिक्षा समिति के प्रस्ताव में क्रमश: 337 एवं 275 अंक दर्शाए गए हैं।
मामला 2 :
भिटौरा ब्लाक के रारा निवासी दशरथ पुत्र जेठू लाल का है। 31 जुलाई को इन्हें धाता ब्लाक के सैदपुर प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित किया। विभागीय जांच में पाया गया कि बोर्ड से आए सत्यापन में इंटर में 225/500 अंक हैं। जबकि ग्राम शिक्षा समिति के प्रस्ताव में 255 अंक दर्शाए गए हैं।
मामला 3 :
अमौली ब्लाक की मकरंदपुर निवासी सावित्री देवी पुत्री शिवलाल का है। 31 जुलाई को इन्हें इसी ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय रूरा में सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित किया। विभागीय जांच में पाया गया कि बोर्ड से आए सत्यापन में इंटर में 290 /500 अंक हैं। जबकि ग्राम शिक्षा समिति के प्रस्ताव में 282 अंक दर्शाए गए हैं।
तीनों को दिया गया नोटिस
-बीएसए ओपी त्रिपाठी ने बताया कि तीनों को 15 दिन का समय देते हुए नोटिस दिया गया है। प्रथम दृष्टया अंकों में हेराफेरी की गई है। नियत समय में अगर जवाब नहीं मिलता है तो फिर एक पक्षीय कार्यवाही की जाएगी। आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।
प्रस्ताव हाथ लगे तो और नपेंगे
सहायक अध्यापक बने और बनने वाले शिक्षामित्रों के अगर सभी प्रस्ताव हाथ लगें तो और बड़े फर्जीवाड़े के खुलासे की संभावनाएं हैं। यही वजह है कि प्रस्ताव खोजे नहीं मिल रहे हैं। शिक्षामित्र की नौकरी पाने के लिए लोगों ने जमा किए गए अभिलेखों में हेराफेरी करके जमा किया। ज्यादा अंकों के आधार पर मानदेय वाली नौकरी पा ली। जिससे पात्र के हक का हनन हो गया। अपात्र नौकरी में आ गए।
इनसेट
प्रस्ताव भी बदल डाले
परिषदीय विद्यालय में नौकरी पाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया गया। हर गलत काम को अंजाम देने से पीछे नहीं हटा गया। ग्राम शिक्षा समिति के पदाधिकारियों को मिलाकर प्रस्ताव ही बदल दिए। जिससे ऐसे लोगों का काम बन गया। लोगों का मानना है कि अगर व्यापक पैमाने पर सही जांच हो जाए तो फिर मामला पर्त दर पर्त उखड़ सकता है। कागजी साक्ष्य तो नहीं जुट पाएंगे लेकिन जांच में कम से यह तो पता चल ही जाएगा किसने-किसने आवेदन किया था। किसने सांठ-गांठ कर फर्जीवाड़ा किया है।
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