राज्य ब्यूरो: प्रदेश सरकार ने प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती में गंभीरता दिखाई है लेकिन टीईटी-2011 उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थी इससे संतुष्ट नहीं हैं। उनका आरोप है कि भर्ती की प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है। बहुत से अयोग्य युवक भी सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की आड़ में नौकरी पा जा रहे हैं। इससे योग्य अभ्यर्थियों की राह मुश्किल हो गई है। अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और मानव संसाधन मंत्रलय को इस संबंध में पत्र प्रेषित किया है। पारदर्शिता के अभाव के पीछे अभ्यर्थियों का तर्क है कि टीईटी-2011 की मूल सीडी का अता-पता नहीं है।
इससे यह परीक्षा उत्तीर्ण करने वालों की प्रामाणिकता संदिग्ध है। जिन अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी जा रही है, उनके बारे में यह तय कर पाना मुश्किल है कि वे सही हैं या गलत। गौरतलब है कि यह परीक्षा प्रक्रिया बसपा शासनकाल में शुरू हुई थी और तब से तमाम अदालती विवादों में घिरी हुई है। हाल ही में उच्चतम न्यायालय के एक अंतरिम आदेश के तहत भर्ती प्रक्रिया फिर शुरू कई और अब लगभग अंतिम चरण में हैं। अभ्यर्थियों ने यह सवाल भी उठाया है कि यदि उच्चतम न्यायालय का अंतिम आदेश अंतरिम आदेश के विपरीत आया तो क्या भर्ती प्रक्रिया निरस्त कर नए सिरे से संपादित कराई जाएगी। इस पर भी विचार किया जाना चाहिए।
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