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Monday, 5 January 2015

प्राथमिक शिक्षकों के तीन लाख पद खाली, यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिया हलफनामा

कानपुर। शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पास योग्य युवा बेरोजगार संगठन ने रविवार को मीटिंग करके प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाने की मांग की। इन सभी ने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का भी हवाला दिया, जिसमें कि छह सप्ताह के अंदर 72825 शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी की जानी है। इस मामले की अगली सुनवाई 25 फरवरी को होनी है। शिक्षकों की भर्ती सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में होगी। प्रदेश में प्राथमिक शिक्षकों के तीन लाख पद खाली हैं।

शिव कुमार पाठक व अन्य की विशेष जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए 17 दिसंबर को जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस उदय उमेश ललित ने यूपी में प्राथमिक शिक्षा की बदहाली पर नाराजगी जताई। शीर्ष अदालत ने कहा है कि प्रदेश सरकार ने शिक्षकों के तीन लाख पद खाली होने का शपथ पत्र दिया है। यह दर्शाता है कि शिक्षा के अधिकार को लेकर यूपी सरकार गंभीर नहीं है। ये पद अब सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में भरे जाएंगे।
पहले चरण की भर्ती प्रक्रिया छह सप्ताह में पूरी की जानी है। जो नियुक्ति पत्र दिया जाएगा, वह कंडीशनल रहेगा। नियुूक्ति पत्र में यह लिखना जरूरी होगा कि भर्ती प्रक्रिया अदालत के अग्रिम आदेशों के अधीन है। इसी सिलसिले में रविवार को योग्य युवा बेरोजगार संगठन ने मीटिंग की। इसमें शामिल याचिकाकर्ता शिव कुमार पाठक ने बताया कि वर्ष 2011 और 2012 में 2.70 युवाओं ने टीईटी पास किया है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के हिसाब से प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति हुई तो इन सभी को रोजगार मिल जाएगा। सामान्य वर्ग के जिन अभ्यर्थियों को टीईटी में 70 फीसदी मार्क्स मिले होंगे, वह भर्ती के लिए पात्र होंगे। एससी, एसटी, ओबीसी, फिजिकली हैंडीकैप्ड की पात्रता 65 फीसदी तय की गई है। यदि राज्य सरकार आरक्षण की अर्हता में किसी तरह का बदलाव करती है तो भी वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अधीन होगा।

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